अक्तूबर महीने में डॉक्ट्रिन फादर्स द्वारा संचालित पल्लियों में नये पल्ली पुरोहितों की नियुक्ति
3 अक्तूबर को सलेर्नो के सांता मरिया बरबुती पल्ली में, 10,30 बजे की पवित्र मिस्सा के साथ फा. रोक्को करूजो ने फा. फ्रैंको मंजीली के स्थान पर पल्ली पुरोहित का पदभार ग्रहण किया। सलेर्नो-कम्पाना-अचेर्नोके महाधर्माध्यक्ष मान्यवर अन्द्रेया बेल्लांदी समारोह के मुख्य अनुष्ठाता थे जिसमें सुपीरियर जनरल फा. सेर्जो ला पेईंया, फा. रोक्को के सहधर्मबन्धु और पल्लीवासियों की बड़ी भागीदारी थी। इस छोटे से शहर में पल्ली के अतिरिक्त डॉक्ट्रिन फादर्स की उपस्थिति पेल्लेत्सानो में भी है।
तोरिनो में 10 अक्तूबर को अभारी और हर्षित चेहरे के साथ 11,30 का यूखारिस्तीय समारोह में येसु नासरी पल्ली समुदाय नये पल्ली पुरोहित अन्द्रेया मरकीनी का जोरदार स्वागत किया। समर्पित जीवन के लिए धर्माध्यक्ष के प्रतिनिधि, मान्यवर सबिनो फ्रिगातो ने नियुक्ति पत्र पढ़ने के बाद तोरिनो और सूजा के महाधर्माध्यक्षमान्यवर नोजिग्लिया की शुभकामनाएँ पढ़ी: “यह खुशी और समारोह का क्षण है जब पल्ली समुदाय कलीसिया की एकता का चिन्ह है। आपका येसु नासरी पल्ली में स्वागत है, आप अपने पूर्वाधिकारी के कामों को जारी रखते हुए युवा तथा परिवार के प्रति विशेष ध्यान के साथ समुदाय के नए प्रेरितिक और शैक्षणिक चुनौतियों का सामना करें”।
पुरोहिताई प्रतिज्ञाओं का नवीकरण कर लेने के बाद फा. अन्द्रेयस ने मान्यवर सबीनो फ्रिगातो, पल्ली के सहधर्मबन्धु, डॉक्ट्रिन फादर्स धर्मसमाज के सुपीरियर जनरल फा. सेर्जो ला पेईंया, फा. पावोलो दे लेयो, येसु नासरी पल्ली के अन्तर्गत अवस्थित लूर्द की माता तीर्थालय के रेक्टर फा. लॉरेंस कुर्ती के साथ समारोह का अनुष्ठान किया।
अन्तिम समारोही आशीर्वाद देने के पहले फा. मरकीनी ने अपने पल्लीवासियों को कहा कि “मैं आपलोगों के साथ प्रभु की ओर एक साथ चलने और एक दूसरे को उसके पास ले चलने के लिए लौटा हूँ”।
रोम का संत अन्द्रेयस पल्ली 23 अक्तूबर को अपने नये पल्ली पुरोहित फा. ओत्तोरिनो वन्जागी को ग्रहण किया। सायं 6 बजे का पवित्र मिस्सा के बाद, जिसका अनुष्ठान रोम महाधर्मप्रान्त के उत्तरी क्षेत्र के सहायक बिशप मान्यवर ग्वेरिनो दी तोरा ने किया, फा. ओत्तोरिनो ने सभी पल्लीवासियों को यह कहते हुए बधाई दी जिन्होंने उन्हें 1994 से लेकर 1998 तक एक सहायक पल्ली पुरोहित के रूप में देखा था: “आप मेरी भी ध्यान रखें कि मैं ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचा सकूँ। आज हम कई लोग उपस्थित हैं जैसे, बड़े बुजुर्ग, धर्मबहनें, युवा और बच्चे, इसलिए सामान्य रविवार के तीसवें सप्ताह का सुसमाचार उदृत करते हुए आह्वान करता हूँ कि: “गुरूवर, ऐसा कर कि मैं पुन: देख सकूँ”, कि हम सभी में मौजूद अच्छे-अच्छे गुणों को नई दृष्टि से देख सकें, क्योंकि जब हम ईश्वर की नजरों से देखते हैं तो भलीभाँति देख पाते हैं”।