फ्रांस में वापसी
फ्रांसीसी क्रांति की झंझावात में
1789 में फ्रांसीसी क्रांति के प्रस्फोटन के पहले फ्रांस में कॉन्ग्रिगेशन के साठ और इटली में लगभग तीस सदन थे जो कुल मिलाकर तीन प्रोविंश में विभाजित थे: आध्यात्मिक और मुख्य केंद्र आवियों में सत्ताईस, टूलूज़ में अठारह, पेरिस में सात, ला फलेश में सटीक संख्या ज्ञात नहीं है क्योंकि यह गठन की प्रक्रिया में थी, फिर रोम और नेपल्स प्रोविंश।
फादर ऑदिफ्रे के नक्शेकदम पर चलते हुए फ्रांस में कई डॉक्ट्रिन फादर्स ने खुद को पुण्य उपदेश के लिए समर्पित कर दिया। इसी समय धर्मशास्त्र के कई प्रख्यात फादर्स हुए जैसे फा॰ सेमइये, फा॰ अन्ना, फा॰ बेजोम्ब, फा॰ स्यूरे, फा॰ लारोक्क, फा॰ बेफ, फा॰ गोशों, फा॰ कॉम्बला, जबकि फा॰ बॉलेरों, फा॰ ग्रेनाँ, फा॰ बेज्जेह, फा॰ लुव्रलल और फा॰ वानाँ की प्रसिद्धी साहित्य और शिक्षण में रही। फादर वानाँ ने सबसे पहले चित्र पर आधारित एक विधि से मूक-बधिरों को शिक्षा देना प्रारम्भ किया।
फादर लाबाजिएर लुईस XVI के कोर्ट में और फादर कॉर्बां राजा के उपदेशक होते हैं, फादर बोनेफू पेरिस में एक चैरिटी संस्थान का निर्देशन करते हैं, फादर ल सेमइये पेरिस में धर्मशास्त्र पढ़ाते हैं और नीतिशास्त्र पर व्याख्यान के लेखक हैं, जो बाईस खण्डों में प्रकाशित हुआ। फादर इयार पेरिस में चार बार चालीसा-काल पर प्रवचन देते हैं तथा सुसमाचार और उस वर्ष पर आधारित संत पौलुस के पत्रों पर पांच खण्डों में मनन-चिंतन की रचना करते हैं; फादर क्लॉम्ब सेंट चार्ल्स में धर्मशास्त्र के प्रोफेसर हैं और दस खंडों में इंस्टीट्यूशन थियोलॉजिके प्रकाशित करते हैं। डॉक्ट्रिन पुरोहित फा॰ रिचर्ड, फा॰ दिरिव्ये और फा॰ दोमेर्ग अपनी साहित्यिक और व्याकरणिक रचना के लिए प्रसिद्ध हैं तो फादर लारोमिगियेर एक प्रख्यात वैज्ञानिक हैं।
फ़्रांसिसी क्रांति की आवेगपूर्ण झंझावात हमारे धर्मसंघ को भी प्रभावित करती है। 1790 में सभी धार्मिक संस्थाओं को भंग कर दिया गया, बस युवाओं की शिक्षा के लिए समर्पित धर्मसंघों के लिए अध्यादेश का क्रियान्वयन स्थगित रहा। इस प्रकार डॉक्ट्रिन फादर्स अगस्त 1792 तक जीवित रह पाते हैं, फिर सभी संस्थाओं और धर्मसंघों को स्थाई रूप से निरस्त कर दिया जाता है।
जब क्रांतिकारियों का आगमन हुआ, सुपीरियर फादर और खजांची फादर यूस्तस फेलिक्स “सिविल कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ क्लर्जी” पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, फलतः उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है और सैन फ़र्मिनो के सेमिनरी में ले जाया जाता है, जिसे जेल में परिवर्तित दिया गया था।
धन्य क्लाउदियुस बोशो और यूस्तस फेलिक्स की धन्यघोषणा की डिक्री (आज्ञप्ति) बताती है कि उन्हें घर के अंदर मार दिया गया था, या खिड़की से बाहर सड़क पर फेंक दिया गया था, जहां पर बहुत ही क्रूर महिलाएं पुरोहितों को लाठी से पीटती थीं और जब इससे भी संतुष्ट नहीं होती थीं तो वे शवों की ढुलाई करने वाली गाड़ी पर चढ़कर उन्हें रौंदती थीं, उन्हें टुकड़ों-टुकड़ों में काटती थीं और गर्व से “राष्ट्र को लम्बी आयु” चिल्लाते हुए राहगीरों को दिखाती थीं।
एक अन्य डॉक्ट्रिन पुरोहित, फादर जोसेफ राउल्क्स ने “सिविल कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ क्लर्जी” पर शपथ लेने से इनकार कर दिया, फलतः उसे सेंट लाज़ारो की जेल में कैद कर दिया गया। 25 जुलाई 1794 को उसे भी मौत की सजा सुनाई गई, परन्तु उसने अपने सभी साथियों को क्षमा संस्कार देने के बाद सबसे अंत में मारे जाने की इच्छा जताई, फलतः उसी दिन कर्त्तन-यंत्र से उसका भी सिर काट दिया गया।
कुछ डॉक्ट्रिन फादर्स “सिविल कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ क्लर्जी” पर शपथ लेने के बजाय रोम जाना पसंद करते हैं, जहां प्रोकुरेटर जनरल फादर रोइये और अन्य धर्मबन्धु प्यार से उनका स्वागत करते हैं तथा उन्हें रोमन प्रोविंश के विभिन्न सदनों में रखते हैं। अन्य डॉक्ट्रिन फादर्स रवेन्ना, फेर्रारा, बोलोईंयाँ जैसे सदनों में शरण लेते हैं। फिर कुछ स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, इंग्लैंड चले जाते हैं।
कुछ डॉक्ट्रिन फादर्स आत्मसमर्पण कर “सिविल कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ क्लर्जी” पर हस्ताक्षर कर लेते हैं।
L’ultimo Superiore Generale francese, padre Bonnefoux
फादर बोनेफू 1776 में पेरिस में संपन्न हुए जनरल चैप्टर में सुपीरियर जनरल चुने गए, 1782 में पुनः निर्वाचित हुए और 1788 में फिर निर्वाचित किए गए। फादर बोनेफू के समान अन्य किसी सुपीरियर जनरल ने कॉन्ग्रिगेशन के लिए इतना संघर्ष नहीं किया और पीड़ा झेली हो। फादर बोनेफू कॉन्ग्रिगेशन के मिशन में प्रभावी रूप से योगदान दिया, शिक्षण को एक मजबूत आयाम दिया, नए कॉलेज खोले और कॉन्ग्रेगेशन को विकास और समृद्धि के उच्चतम स्तर पर लाया। 1710 के बाद, वे बेदारिद, वाँस, सेनेह, मिरामोंह, बारसेलोनेत, लॉदेव, नान्त, रूएर्ग, सोसपेल्लो, कस्तेल्नोदरी, मुआजाक, तार्ब, आक्क, बेलाक, आवालों, वित्री-ल-फ्रांस्वआ, शलों-एन-शाम्पाञँ, त्रोआ, त्रेईंयाक में कॉलेज खोले, फिर पेरिस में एक तीसरा घर, धर्मशास्त्र और दर्शनशास्त्र के अध्ययन के सभी संकायों के साथ टूलूज़ में एस्क्विलाइन कॉलेज, मॉन्द का कॉलेज और सेमिनरी, निम्म का सेमिनरी शामिल है। इनके अलावा कारपंत्राह, केरकासॉन, ला फ्लेश, बोर्दो, सेन ओमेर, मॉन्पेलिए, ऑरांज, आवियों, एक्स, कन्डम, गाप और दूसरे अन्य सदन भी आते हैं।
उन्होंने फ्रांसीसी क्रांति के दौरान “सिविल कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ क्लर्जी” पर शपथ लेना अस्वीकार कर दिया। उन्होंने अत्यन्त पीड़ा के साथ देखा कि कैथोलिक धर्म के खिलाफ नफरत फैलाने वाले क्रांतिकारियों ने घृणा के कारण अपने कई सहधर्मबंधुओं द्वारा निर्मित दो सौ साल का काम और बलिदान को धुआँ में उड़ा दिया। 1806 में पेरिस के एबॉट सिकार्ड फाउंडेशन में उनकी मृत्यु हो गई और इसी के साथ संस्थापक चेसार दे बुस की मातृभूमि अर्थात फ्रांस में कॉन्ग्रिगेशन का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
संस्थापक की भूमि पर वापसी
फ्रांस में कॉन्ग्रिगेशन को फिर से स्थापित करने का पहला प्रयास 1850 के आसपास किया गया, लेकिन पूर्ण रूप से स्थापित होने में एक सदी से अधिक समय तक का इंतजार करना पड़ा। 1966 में, आवियों के आर्चबिशप जोसेफ उरतासाँ के निमंत्रण पर कवाइयों से छह किलोमीटर दूर शेवाल ब्लांक में डॉक्ट्रिन धर्मसंघ के पुरोहित संस्थापक की भूमि पर लौटते हैं। फादर बतिस्ता प्रेवीताली और एक अन्य सहधर्मसंघी साथ मिलकर छोटा परन्तु अर्थपूर्ण शुरुआत करते हैं, और ब्राजील से लौट आए फादर फ्रांसेस्को बालत्सोला भी इस मिशन में जुड़ जाते हैं।
आवियों के नए आर्चबिशप रेमंड बुशे 1985 में संस्थापक का परमप्रिय कैथेड्रल के साथ जुड़ी कावाइयों की पल्ली को कॉन्ग्रिगेशन के जिम्मे सौंपते हैं। फादर जानबत्तिस्ता कार्नेवाले गरे तथा ब्राज़ील के फादर आदाईर डिनिज़ के साथ फादर बतिस्ता प्रेवीताली को पल्ली पुरोहित नियुक्त किया जाता है। इसके बाद से कई अन्य सहधर्मबंधुओं ने न केवल कावाइयों की पल्ली की सेवा में स्वप्रतिबद्ध किया, बल्कि आवियों महाधर्मप्रान्त में भी, जैसे की विशेष रूप से फादर जॉर्ज लेवोरातो, फादर फ्रेंको मंजिली और फादर विन्चेंत्सो डी मर्टिनो।