सुपीरियर जनरल, फा. सेर्जो ला पेईंया के साथ साक्षात्कार

क्रिश्चियन डॉक्ट्रिन फादर्स धर्मसंघ की स्‍थापना की नींव 1500 ई. के प्रथम अर्ध में रखी गई। रविवार 3 फरवरी 1544 को फ्रांस में आवियों के नजदीक कावाइयों में चेसार दे बुस का जन्म हुआ।
किशोरावस्‍था के बाद, जिस दौरान उन्होंने एक सैनिक फिर फ्रांस के राजा के राज दरबार का जीवन को देखा, 1575 में पुन: विश्वास को ढूंढ निकाला और 1582 में पुरोहित अभिषिक्त किये गये। कावाइयों की पहाड़ी पर अवस्थित सन्‍त याकूब के आश्रम पर, वे प्रार्थना तथा ट्रेंट विश्‍व कौसिंल का फल यथा “पल्‍ली पुरोहितों” की धर्मशिक्षा के अध्ययन में लीन हो जाते हैं। फिर वे आवियों में स्थाई रूप से बस जाने के लिए प्रोवांस प्रान्त के ग्रामीण तथा शहरी इलाकों का दौरा करते हैं, जहाँ अपने समीप कुछ पुरोहितों का एक समूह इकट्ठा करते हैं जिनके साथ सामुदायिक जीवन शैली का एक खाका तैयार करते हैं और “ख्रीस्‍तीय धर्मसिद्धांत का अभ्यास करने” का आनन्द साझा करते हैं। इस प्रकार प्रोवांस के इल-सुर-ला-सोर्ग द्वीप पर 29 सितंबर 1592 को कॉन्ग्रिगेशन ऑफ क्रिश्चियन डॉक्ट्रिन फादर्स धर्मसमाज का जन्‍म होता है, जिसे आज सार्वभौमिक रूप से डॉक्ट्रिनेयर्स (सीडीएफ) के रूप में जाना जाता है और जिसे पोप क्लेमेंट अष्‍टम ने 23 दिसंबर 1597 को अनुमोदित किया। इसका मिशन स्‍पष्‍ट है: ईश वचन की घोषणा के साथ लोगों तथा बच्‍चों को सरल तरीके से धर्मशिक्षा देना, संस्कारों का अनुष्ठान करना, प्रेरितों का धर्मसार, दस आज्ञाएँ और कलीसिया के नियमों को सिखलाना।

फादर चेसार दे बुस की मृत्यु आवियों में 15 अप्रैल 1607 को पास्‍का रविवार के दिन हो जाती है। धर्मसमाज बढ़ता चला जाता है और प्रोवांस से सीडीएफ पुरोहित समूचा फ्रांस और रोम तक चले जाते हैं। परन्तु फ़्रांसीसी क्रान्ति डॉक्ट्रिनेयर्स को गहरी चोट पहुँचाती है जिनमें से चार को शहीद होना पड़ता है और लगभग सभी बलपूर्वक निर्वासित किए जाते हैं अथवा छिपकर जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इटली उनका मुख्य गंतव्य बन जाता है, पहले पिएडमोंट में और फिर लाजियो और काम्पानिया प्रान्‍त में। केवल 1966 में, आवियों के आर्चबिशप मान्‍यवर जोसेफ उरतासां के निमंत्रण पर डॉक्ट्रिन पुरोहित संस्थापक की भूमि, कावाइयों से छह किलोमीटर दूर शेवाल ब्‍लांक पर लौटते हैं और नए आर्चबिशप रेमंड बुशेक्‍स 1985 में उन्‍हें कैथेड्रल के साथ कावाइयों की पल्‍ली सौंपते हैं।

1947 में रिबेइराओ प्रेतो के बिशप मान्‍यवर मैनुएल डी सिलवेईरा डी एलबोक्स के निमंत्रण पर डॉक्ट्रिन फादर्स पानी जहाज से ब्राजील उतरते हैं फिर बाद में कातान्‍दुआ और बेर्तियोगा में सदन खोलते हैं।
ये 1999 से भारत के रांची और जड़ेया में उपस्थित हैं और 2006 से बुरुंडी के बुजुम्बुरा में हैं। इटली में धर्मसमाज का मुख्‍यालय रोम में है तथा सलेर्नो, सिसली के वित्‍तोरिया, और तुरीन में येसु नासरी पल्लियाँ हैं।

पौलुस षष्‍ठम ने 27 अप्रैल 1975 को फादर चेसार को धर्मशिक्षकों का आदर्श बताते हुए धन्‍य घोषित किया। पोप फ्रांसिस ने मई 2021 में कार्डिनलों की एक आम सार्वजनिक परिषद में सात धन्‍यों के सन्‍तघोषण की अध्‍यक्षता की जिनमें चेसार दे बुस भी शामिल हैं।

धर्मसंघ के 49 वर्षीय सुपीरियर जनरल, फादर सेर्जो ला पेईंयासंस्‍थापक के 53वें उत्‍तराधिकारी हैं। उनके साथ हमने डॉक्ट्रिन फादर्स का वर्तमान और भविष्‍य के बारे में चर्चा की।

फादर ला पेईंया, आज आपकी संख्‍या कितनी है और कौन-कौन सी सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियां हैं?
फ्रांस, इटली, ब्राजील, भारत और बुरुंडी में ट्रेनिंग ले रहे सभी धर्मबंधुओं को मिलाकर हम लगभग सौ हैं । सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियाँ पल्‍ली, स्कूल, इटली में प्रकाशन का संचालन तथा अन्य समुदाय अपने-अपने धर्मप्रान्‍त में पल्‍ली-पुरोहित के सहयोग से धर्मशिक्षा, फिर फॉर्मेशन तथा चैरिटी कार्य की गतिविधियों में व्‍यस्‍त हैं।

फादर चेसार एक प्रवर्तक धर्मशिक्षक थे: आप विभिन्न देशों में उनकी अपनी परम्परा को ध्यान में रखते हुए प्रेरिताई (करिज्‍म) के कार्य को कैसे देखते हैं?
फादर चेसार ने धर्मशिक्षा का मिशन को दो पहलुओं पर रखा: एक ओर, ईश्वर, कलीसिया और उनकी शिक्षाओं के प्रति निष्ठा रखना, तो दूसरी ओर, किसी भी व्यक्ति के प्रति सावधानी तथा निष्ठा बनाए रखना हालाँकि वह अपनी उम्र के अनुसार जीवन की परिस्थिति में रह रहा हो, अथवा उसका जो भी शिक्षा का स्तर हो, या वह अपना दुःख और सुख का जीवन जी रहा हो। इस संदर्भ में, ख्रीस्‍तीय उद्घोषणा और धर्मशिक्षा के प्रति गहरा ज्ञान सारगर्भित होता है। आज डॉक्ट्रिन पुरोहित इन दो “निष्ठाओं” को जीते हैं: ईश्वर और कलीसिया दोनों के प्रति निष्ठा, जिसे संत पिता और धर्माध्यक्ष एक शिक्षा के रूप में बतलाते तथा दिशा-निर्देश देते हैं, फिर लोगों के प्रति निष्ठा, जिनसे हम उनकी विभिन्न संस्कृति और वास्तविकता के आवश्यकता के अनुसार उनसे मिलते हैं।

धर्मशिक्षा के क्षेत्र में आपके क्या अनुभव तथा प्रयोग हैं?
जहां हमारी मौजूदगी है, धन्य चेसार द्वारा निर्देशित दोनों “निष्ठाओं” को ध्यान में रखते हुए और स्थानीय स्तर पर प्रस्तावित मार्ग पर चलते हुए धर्मप्रान्‍त के जीवन के अनुकूल हो जाते हैं। इस कारण से, धर्मशिक्षा के वे प्रस्ताव जिन्हें हमारी पल्लियों में अथवा विभिन्न सेमिनार में लागू करने के लिए हम आमंत्रित हैं, सामने मौजूद लोगों के प्रति ध्यान देना ज्यादा उचित है ताकि इस बात से बचा जा सकता है जैसा कि पोप कहते हैं, “उन प्रश्नों का जवाब दिया जा रहा है जिन्हें किसी ने पूछा ही नहीं है”। अतः “ऐसा ही चलता आ रहा है” की प्रथा प्रेरिताई के लिए खतरा हो सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में, मेरे लिए उन सभी परिवारों के पक्ष में, वर्तमान अनुभव को बताना काफी अच्‍छा लगता है कि कैसे डॉक्ट्रिन फैमिली मूवमेंट धन्‍य चेसार की प्रेरिताई से प्रेरित होकर अन्य परिवारों के समक्ष “धर्मशिक्षक परिवार” बन जाने के लिए, एक परिवार के रूप में, ईश-वचन का आदान-प्रदान करने के साथ-साथ आगे बढ़ते रहने का मार्ग प्रस्ताव करता है।

कॉन्ग्रिगेशन का भविष्य क्या है?
मुझे ऐसा लगता है कि कॉन्ग्रिगेशन को तीन दिशाओं की ओर क्षितिज खोलना जारी रखना होगा। पहला। एक कॉन्ग्रिगेशन, नए सुसमाचार प्रचार के संदर्भ में, धर्मशिक्षा की प्रेरिताई को दुबारा ढूंढ निकाले और कलीसिया के महान और वर्तमान मिशन में शामिल होते हुए धर्मप्रान्‍त की सेवा में लग जाए जहाँ हम बुलाए गए हैं। आज हमें उन लोगों की आवश्यकता है जो यह जानते हैं कि हम जिस संदर्भ में जी रहें हैं उसके अनुसार येसु का देहधारण, मृत्यु और पुनरुत्थान के रहस्य का संदेश को पुन: कैसे सुनाया जाए। दूसरा। एक कॉन्ग्रिगेशन जिसे धर्मावलंबियों के साथ संबंध बनाना तथा सहभागिता में आगे बढ़ना आता हो, और सामान्य दृष्टिकोण से, नए सुसमाचार प्रचार के कार्य में सहयोग करते हुए संसार की शेष प्रजा के साथ भी आगे चलना आता हो। तीसरा। अन्य देशों में जहाँ हम मौजूद नहीं हैं वहाँ ईश-वचन के प्रचार करने की इच्छा शक्ति के साथ हमेशा अन्‍तरराष्‍ट्रीय कॉन्ग्रिगेशन बने रहना।

Mauro Fresco, La Voce e Il Tempo, July 11, 2021